Monday, May 24, 2010

ऐसा सफ़र ढूंढता हूँ

हो मंजिलें ही मंजिलें ऐसा सफ़र ढूंढता हूँ 
 
जो चले हर जनम साथ ऐसा हमसफ़र ढूंढता हूँ 
 
जहाँ खुशीयाँ बसती हो ऐसा  शहर  ढूंढता हूँ 
 
जहाँ इंसान बसते हो ऐसा जहां ढूंढता हूँ 
 
जिसमे बहारें ही बहारें हो ऐसा मौसम ढूंढता हूँ 
 
जिससे हर कोई झूम जाए ऐसी खुशीयाँ ढूँढता हूँ 
 
जो कर दे दिल को घायल ऐसी नज़र ढूंढता हूँ 
 
जिस पर खुद को वार दूँ ऐसी मुस्कान ढूंढता हूँ 
 
बिन पिए ही आ जाए नशा ऐसी मय ढूंढता हूँ 
 
जिस पर हर परवाना जल मरे वो शम्मां ढूंढता हूँ 
 
जो सारे जहाँ पर बरसे ऐसा सावन ढूंढता हूँ 
 
जिस पर दुनिया है कायम वो उम्मीद ढूंढता हूँ

1 comment: