हो मंजिलें ही मंजिलें ऐसा सफ़र ढूंढता हूँ
जो चले हर जनम साथ ऐसा हमसफ़र ढूंढता हूँ
जहाँ खुशीयाँ बसती हो ऐसा शहर ढूंढता हूँ
जहाँ इंसान बसते हो ऐसा जहां ढूंढता हूँ
जिसमे बहारें ही बहारें हो ऐसा मौसम ढूंढता हूँ
जिससे हर कोई झूम जाए ऐसी खुशीयाँ ढूँढता हूँ
जो कर दे दिल को घायल ऐसी नज़र ढूंढता हूँ
जिस पर खुद को वार दूँ ऐसी मुस्कान ढूंढता हूँ
बिन पिए ही आ जाए नशा ऐसी मय ढूंढता हूँ
जिस पर हर परवाना जल मरे वो शम्मां ढूंढता हूँ
जो सारे जहाँ पर बरसे ऐसा सावन ढूंढता हूँ
जिस पर दुनिया है कायम वो उम्मीद ढूंढता हूँ
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक...
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