Thursday, May 20, 2010

गले लगा लो दोस्त


बचपन हमारे बराबर कद के थे दोस्त
आज तुम इतने ऊंचे हो गए हो
कि मेरे हाथ नहीं पहुँचते तुम तक

हम दोनों ने विस्तार किया
मैंने समंदर की तरह
तुमने आसमान की तरह...

मैंने अपनी मौजों को बहुत उछाला पर
खाली हाथ वापस आ गयीं  
तुम्हे छू भी नहीं पायी

तुम्ही झुक कर मुझे गले लगा लो दोस्त

जैसे उफक पर आकर 
आसमान समंदर के गले लगता है...

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