तो क्या जो लाइन में पीछे हैं
तो क्या जो सबसे नीचे हैं
तो क्या जो घुटना छिला है फिर
तो क्या जो 'ज़ीरो' मिला है फिर
तो क्या जो गुल्लक ख़ाली है
तो क्या जो रात बवाली है
तो क्या जो बहुत उधारी है
तो क्या जो शनि भी भारी है
तो क्या जो शेयर में लॉस हुआ
तो क्या जो ज़ालिम बॉस हुआ
तो क्या जो लड़की रूठी है
तो क्या जो क़िस्मत फूटी है
तो क्या जो नज़्म अधूरी है
तो क्या जो लाइफ भसूरी है...
इसी भसूरी में गिर-पड़ के; बढ़ने की ठानी है मैंने
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.....
तो क्या जो थोड़े रुके कदम
तो क्या जो थोड़ा झुके हैं हम
तो क्या जो लम्हे फिसले हैं
तो क्या जो हसरत छलनी है
तो क्या जो कंधा चोटिल है
तो क्या जो धुंधला साहिल है
तो क्या जो नब्ज़ है सुस्त पड़ी
तो क्या जो मंज़िल दूर खड़ी
तो क्या जो सपने टूट गये
तो क्या जो अपने छूट गये
तो क्या जो साँस है फूल रही
तो क्या जो राख़ में आग दबी
तो क्या जो थके इरादे हैं
तो क्या जो बिखरे वादे हैं
तो क्या जो मोच है धड़कन में
तो क्या जो घुटते मन-मन में
तो क्या जो दुनिया हंसती है
तो क्या जो छुपके रोते हैं
तो क्या जो ज़ोर कि मैं हारूं
तो क्या जो शोर कि मैं हारूं...
इसी शोर में जीत की धीमी; आहट पहचानी है मैंने
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.....
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.......
तो क्या जो सबसे नीचे हैं
तो क्या जो घुटना छिला है फिर
तो क्या जो 'ज़ीरो' मिला है फिर
तो क्या जो गुल्लक ख़ाली है
तो क्या जो रात बवाली है
तो क्या जो बहुत उधारी है
तो क्या जो शनि भी भारी है
तो क्या जो शेयर में लॉस हुआ
तो क्या जो ज़ालिम बॉस हुआ
तो क्या जो लड़की रूठी है
तो क्या जो क़िस्मत फूटी है
तो क्या जो नज़्म अधूरी है
तो क्या जो लाइफ भसूरी है...
इसी भसूरी में गिर-पड़ के; बढ़ने की ठानी है मैंने
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.....
तो क्या जो थोड़े रुके कदम
तो क्या जो थोड़ा झुके हैं हम
तो क्या जो लम्हे फिसले हैं
तो क्या जो हसरत छलनी है
तो क्या जो कंधा चोटिल है
तो क्या जो धुंधला साहिल है
तो क्या जो नब्ज़ है सुस्त पड़ी
तो क्या जो मंज़िल दूर खड़ी
तो क्या जो सपने टूट गये
तो क्या जो अपने छूट गये
तो क्या जो साँस है फूल रही
तो क्या जो राख़ में आग दबी
तो क्या जो थके इरादे हैं
तो क्या जो बिखरे वादे हैं
तो क्या जो मोच है धड़कन में
तो क्या जो घुटते मन-मन में
तो क्या जो दुनिया हंसती है
तो क्या जो छुपके रोते हैं
तो क्या जो ज़ोर कि मैं हारूं
तो क्या जो शोर कि मैं हारूं...
इसी शोर में जीत की धीमी; आहट पहचानी है मैंने
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.....
हार नहीं मानी है मैंने; हार नहीं मानी है मैंने.......
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