दिल चाहता है आसमान में ऊड़ना,
पंछियों कि तरह उन्मुक्त ऊड़ना ,
बादलों की तरह हवा में तैरना ,
विशाल आकाश को छूना ,
जहाँ ना कोई बंदिश हो ना पहरे,
बस मैं हूँ और मेरी चाहतें हों,
जहाँ मैं सुन सकूं अपने मन कि बात ,
अपनी आवाज़ को दे सकूं शब्द ,
कुछ दिल की कहूं कुछ दिल की सुनूं
और बस आस्मां में ऊड्ता फिरूं ऊड्ता फिरूं ऊड्ता फिरूं।
पंछियों कि तरह उन्मुक्त ऊड़ना ,
बादलों की तरह हवा में तैरना ,
विशाल आकाश को छूना ,
जहाँ ना कोई बंदिश हो ना पहरे,
बस मैं हूँ और मेरी चाहतें हों,
जहाँ मैं सुन सकूं अपने मन कि बात ,
अपनी आवाज़ को दे सकूं शब्द ,
कुछ दिल की कहूं कुछ दिल की सुनूं
और बस आस्मां में ऊड्ता फिरूं ऊड्ता फिरूं ऊड्ता फिरूं।
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